आदत
आदत है सवारी की मज्बूई है पेट्रोल की कुछ तो सोचना पड़ेगा आदते तो हम बदल नहीं सकते विकल्प ढूँढ सकते है लो जी हम ने तो ढूँढ भी लिया विकल्प अव ये हमारा कुत्ता है हमारे घर रहता है हमारा खाना खाता है तो क्या हमारा जरा सा बोझ भी नहीं उठाएगा नहीं ये कैसे हो सकता है इससे ज्यादा तो वफादार हम नहीं है आज से यही बोझ उठाएगा हमारा रोटी खिलते हैं भई
|
1 comment:
ये सवारी तो बढ़िया है .............
Post a Comment