ये है आज की विचारधारा किसी कहें सास को या बहु को समझौता शब्द अब सिर्फ किताबो के लिए रह गया है प्यार ,अपनापन कहीं नज़र नहीं आता एक दूसरे पर शासन करना है सब को शासन घर में तो वो घर कहाँ रहेगा फिर वो तो बस अखाडा बन कर रह गया स्पर्धा नहीं प्यार करो एक दूसरे से सास भी और बहु भी ये समझ ले तो अखाडा भी स्वर्ग बन जाये |
1 comment:
सच कहा आज कल हर घर अखाडा ही बन कर रह गया है
Post a Comment