Sunday, July 1, 2012

घर और अखाडा

ये है आज की विचारधारा
किसी कहें
सास को या बहु को
समझौता शब्द
अब सिर्फ किताबो के लिए रह गया है
प्यार ,अपनापन
कहीं नज़र नहीं आता
एक दूसरे पर शासन करना है सब को
शासन घर में
तो वो घर कहाँ रहेगा फिर
वो तो
बस अखाडा बन कर रह गया
स्पर्धा नहीं
प्यार करो एक दूसरे से
सास भी और बहु भी ये समझ ले तो
अखाडा भी स्वर्ग  बन जाये 

1 comment:

Unknown said...

सच कहा आज कल हर घर अखाडा ही बन कर रह गया है